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लेखनी प्रतियोगिता -14-Aug-2022

चाय वाला


चाय पीने की आदत न थी मेरी,
पर लत तूने लगा दी,
मेरी लत छुड़ाने के लिए,
शायद तू मुझे छोड़कर चला गया।

फिंकी चाय पीना मुझे पसंद बिलकुल न था,
पर तेरी जुबां से निकली गालियों ने,
शायद उसमें मीठापन घोल दिया था।

अब फिर से मुझे चाय पीनी है फिंकी,
पर शर्त, वो हाथों की हो तेरी,
एक कप सुबह और एक कप शाम,
पर हर घूंट पर हो तेरा नाम।

पहले तो तूने सुबह शाम,
दो दो कप चाय पिलाया,
फिर एक एक कप को तरसाया,
अब तो सिर्फ आती है तेरी याद,
हर रोज सुबह और शाम,
नहीं देना तो मत दे चाय,
पर दे दे एक प्यारी सी मुस्कान,
पर दे दे एक प्यारी सी मुस्कान।

दुआ है मेरी तू जल्दी से सही हो जाए,
फिर से दौड़ता कूदता चाय पिलाने आए,
जिंदगी की कठिनाइयों का जल्दी पासा पलटे,
और तू एक दिन बढ़ा आदमी बन जाए।

# प्रतियोगिता हेतु 

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9 Comments

👌🏼 👌🏼 👌🏼 लाजवाब लाजवाब

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Pankaj Pandey

15-Aug-2022 07:22 AM

Behtarin rachana

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shweta soni

14-Aug-2022 01:18 PM

Bahut achhi rachana 👌

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